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बायोमेट्रिक सिस्टम एक ऐसी तकनीक है जो किसी व्यक्ति की शारीरिक या व्यवहारिक विशेषताओं के आधार पर उसकी पहचान करता है। इसका उपयोग सुरक्षा, पहचान, उपस्थिति (attendance) आदि के लिए किया जाता है।


📜 इतिहास

  • बायोमेट्रिक्स की सोच बहुत पुरानी है।
    उदाहरण: प्राचीन बेबीलोन (500 ई.पू.) में लोग उंगलियों के निशान का उपयोग करते थे।
  • 1800 के दशक में फिंगरप्रिंट का वैज्ञानिक रूप से उपयोग शुरू हुआ।
  • 1960–70 के दशक में आवाज़ और चेहरे की पहचान जैसी तकनीकें विकसित हुईं।
  • भारत में आधार कार्ड प्रणाली (2009) के साथ बायोमेट्रिक्स का बहुत व्यापक उपयोग शुरू हुआ।

📌 बायोमेट्रिक सिस्टम के प्रकार

  1. फिंगरप्रिंट (उंगलियों के निशान)
  2. आंखों की पुतली (Iris) की स्कैनिंग
  3. चेहरे की पहचान (Face recognition)
  4. आवाज़ की पहचान (Voice recognition)
  5. हथेली के निशान (Palm print)

बायोमेट्रिक सिस्टम के फायदे

  1. उच्च सुरक्षा (High Security):
    हर व्यक्ति के बायोमेट्रिक चिन्ह अलग होते हैं, जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है।
  2. तेज़ और आसान पहचान:
    पासवर्ड या पहचान पत्र की ज़रूरत नहीं होती। केवल उंगली, चेहरा या आंख की स्कैनिंग से काम हो जाता है।
  3. धोखाधड़ी में कमी:
    सरकारी योजनाओं, बैंकिंग और चुनाव जैसी जगहों पर पारदर्शिता आती है।
  4. स्थानांतरित नहीं किया जा सकता:
    किसी और का फिंगरप्रिंट या आंख का स्कैन इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
  5. सुविधाजनक (Convenient):
    मोबाइल फोन अनलॉक करना, बैंकिंग सेवाएं लेना, हवाई अड्डों पर चेक-इन करना आदि कार्य आसान हो जाते हैं।

By admin

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